धर्म-आस्था Dharm

भारतीय संस्कृति में गाय को पवित्र क्यों माना जाता है?

भारतीय संस्कृति में गाय को पवित्र क्यों माना जाता है? यहह सवाल आपके मन में भी कभी ना कभी आया ही होगा. आज के इस लेख में हम लोग इसी विषय पर बात करने वाले है की आखिर गाय को भारतीय समाज में इतनी इज्जत और सम्मान की दृष्टि से क्यों देखा जाता है और आखिर क्यों गाय को भारत में माँ का दर्जा दिया जाता है.

गाय हिन्दु्ओं के लिए सबसे पवित्र पशु है। इस धरती पर पहले गायों की कुछ ही प्रजातियां होती थीं। उससे भी प्रारंभिक काल में एक ही प्रजाति थी। आज से लगभग 9,500 वर्ष पूर्व गुरु वशिष्ठ ने गाय के कुल का विस्तार किया और उन्होंने गाय की नई प्रजातियों को भी बनाया, तब गाय की 8 या 10 नस्लें ही थीं जिनका नाम कामधेनु, कपिला, देवनी, नंदनी, भौमा आदि था।

कामधेनु के लिए गुरु वशिष्ठ से विश्वामित्र सहित कई अन्य राजाओं ने कई बार युद्ध किया, लेकिन उन्होंने कामधेनु गाय को किसी को भी नहीं दिया। गाय के इस झगड़े में गुरु वशिष्ठ के 100 पुत्र मारे गए थे।

भारतीय संस्कृति में गाय को पवित्र क्यों माना जाता है?
भारतीय संस्कृति में गाय को पवित्र क्यों माना जाता है?

भारतीय संस्कृति में गाय को पवित्र क्यों माना जाता है?

दरअसल, भारत हमेशा से एक कृषि-प्रधान देश रहा है। कृषि ही भारत की आय का मुख्य स्रोत है। ऐसी अवस्था में किसान को ही भारत की रीढ़ की हड्डी समझा जाना चाहिए और गाय किसान की सबसे अच्छी साथी है। गाय के बिना किसान व भारतीय कृषि अधूरी है। प्राचीन भारत में गाय समृद्धि का प्रतीक मानी जाती थी।

यह भी पढ़ें- शिव पूजा में भूलकर भी न शामिल करें ये चीजें

एक समय वह भी था, जब भारतीय किसान कृषि के क्षेत्र में पूरे विश्व में सर्वोपरि था। इसका कारण केवल गाय थी। भारतीय गाय के गोबर से बनी खाद ही कृषि के लिए सबसे उपयुक्त साधन थे। खेती के लिए भारतीय गाय का गोबर अमृत समान माना जाता था। इसी अमृत के कारण भारत भूमि सहस्रों वर्षों से सोना उगलती आ रही है। किंतु हरित क्रांति के नाम पर सन् 1960 से 1985 तक रासायनिक खेती द्वारा भारतीय कृषि को नष्ट कर दिया गया। अब खेत उर्वरा नहीं रहे।

गाय के गोबर में गौमूत्र, नीम, धतूरा, आक आदि के पत्तों को मिलाकर बनाए गए कीटनाशक द्वारा खेतों को किसी भी प्रकार के कीड़ों से बचाया जा सकता है। वर्षों से हमारे भारतीय किसान यही करते आए हैं। आधुनिक विकास के नाम पर अमेरिकी और यूरोपीय लोगों ने हमारी सभ्यता, संस्कृति के साथ ही हमारी धरती को भी नष्ट कर दिया।

भारतीय संस्कृति में गाय को पवित्र क्यों माना जाता है?

इतना ही नहीं गाय का घी, दूध यह तक की गाय का मूत्र भी भुत सी बीमारियों का इलाज करने में सम्भव है. यदि आपके घर में गाय है तो आपने गाय के साथ एक अलग ही तरह का जुडाव भी महसूश किया होगा. आप बिना कुछ बोले यदि गाय के पास जायेंगे तो वो आपके मन को पहचान लेगी.

यह भी पढ़ें-  आखिर कौन हैं भगवान शिव ?

आपकी ख़ुशी में गाय खुश होती है और आपके दुखी होने पर आँखों से आंशु भी बहती है. गाय के इन्ही मानवीय लक्षणों को हमारे पूर्वजों ने पहचान लिया था. इसीलिए वो सभी अपने घरो में गाय जरूर रखते थे और उसको माता का दर्जा देते थे. क्योकि गाय मानवीय होने के साथ साथ परिवार के मुखिया की तरह परिवार का पालन पोषण भी करती थी.

कौन से गुण हैं जो देसी गाय को पावन बनाते हैं?

तो वह कौन से गुण हैं जो देसी गाय को पावन बनाते हैं जबकि वो विदेशी नस्लों की गायों के मुकाबले कम दूध देती है?

“हमारी देसी गाय जब बछड़े को जन्म देती है तब वो दूध देती है. विदेशी नस्ल की गाय के दूध देने के लिए बछड़ा होना ज़रूरी नहीं है. देसी गाय का दूध जल्दी पच जाता है जबकि भैंस और विदेशी नस्ल की गाय के दूध को पचने में ज़्यादा वक़्त लगता है.”

गाय का गोबर भी है गुणकारी ?

देसी गाय का सिर्फ़ दूध ही नहीं, उसका गोबर भी गुणकारी होता है जिससे बीमारियां दूर होती हैं. वहीं विदेशी नस्ल की गायों के गोबर से बीमारियां पैदा होती हैं. करनाल स्थित राष्ट्रीय पशु आनुवांशिक संसाधन ब्यूरो के एक शोध में देसी गाय के दूध की गुणवत्ता को भी विदेशी नस्ल की गायों से बेहतर बताया गया है.

मगर भारत में अब देसी गायों के मुकाबले विदेशी नस्ल की गाय ज़्यादा लाभकारी साबित हो रही है क्योंकि वो ज़्यादा दूध देती है. इसी वजह से इन्हें पालने का चलन बढ़ रहा है.

यह भी पढ़ें- ऋषि महर्षि मुनि साधु और संत में क्या अंतर है ?

गायों की प्रमुख नस्लें कौन सी है ?

 भारत में आजकल गाय की प्रमुख 28 नस्लें पाई जाती हैं। गायों की यूं तो कई नस्लें होती हैं, लेकिन भारत में मुख्‍यत: साहीवाल (पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तरप्रदेश, बिहार), गिर (दक्षिण काठियावाड़), थारपारकर (जोधपुर, जैसलमेर, कच्छ), करन फ्राइ (राजस्थान) आदि हैं। विदेशी नस्ल में जर्सी गाय सर्वाधिक लोकप्रिय है। यह गाय दूध भी ‍अधिक देती है। गाय कई रंगों जैसे सफेद, काला, लाल, बादामी तथा चितकबरी होती है। भारतीय गाय छोटी होती है, जबकि विदेशी गाय का शरीर थोड़ा भारी होता है।

क्या आपके घर में भी गाय है यदि है तो कौन से नस्ल की हमे कमेंट करके जर्रोर बताये और आपको यह लेख जिसमे हमने बताया की भारतीय संस्कृति में गाय को पवित्र क्यों माना जाता है? आपको कैसा लगा यह भी जरूर बताये. जय गौ माता.

Kushan Singh

Hello दोस्तों! Kushan Singh इस हिंदी ब्लॉग www.hindiyug.in के Founder हैं। Kushan Singh एक Professional Blogger और Wordpress Website Designer हैं। उनको Website SEO, Blogging, Google Ads के बारे मे भी अच्छी जानकारी है। इन विषयों के बारे मे अगर आपको कोई Doubt है तो आप comment section मे अपने सवाल पूछ सकते है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button