कैसे हुई चाय की खोज? मजेदार है चाय का इतिहास!
कैसे हुई चाय की खोज? मजेदार है चाय का इतिहास:- दोस्तों बहुत से लोग ऐसे होंगे जिनका चाय के कप के बिना दिन शुरू ही नहीं होता। सच कहू तो मै भी उन्ही लोगो में से एक हु. लेकीन क्या आप लोग जानते है की आखिर चाय की खोज कैसे हुई थी ? सच कहू तो जितनी लाजवाब चाय होती है उतना ही लाजवाब चाय का इतिहास रहा है.
एक समय ऐसा भी था जब चाय हमारे लिए बिल्कुल बेनाम सी चीज होती थी. चाय की खोज कैसे हुई किसने बताया कि चाय पीने से क्या-क्या होता है। आजकल तमाम बातें चाय पर होती हैं यहाँ तक की PM साहब भी चाय पर चर्चा करते है. लोग चाय पर बुलाते हैं। किसी को चाय पर मुलाकात होती हैं। अब चाय पर बातें होती हैं मेरी जान। (शायद मेरी शादी का ख्याल दिल में आया है। इसीलिए मम्मी ने मेरी तुम्हे चाय पर बुलाया है….)
दुनिया की पहली चाय की कहानी: चाय का इतिहास
हमारे देश में चाय की बहुत दीवाने हैं और इसी को देख कर कुछ लोगों को लगता है कि चाय की शुरुआत हिंदुस्तान से हुई होगी। लेकिन ऐसा है नहीं. कुछ इतिहास की किताबों में पन्ने पलटे तो पता चलेगा कि चाय की शुरुआत चीन से हुई थी.
चाय की उत्पत्ति कैसे हुई?– ऐसा माना जाता है की आज से क़रीब 2700 ईसापूर्व चीनी शासक शेन नुंग बग़ीचे में बैठे गर्म पानी पी रहे थे। शेन नुंग दवाइयों के आविष्कारक थे और उन्होंने बहुत सी दवाइयों की खोज की थी। शेन नुंग को हमेशा पानी को उबालकर पीने की आदत थी। एक बार शेन नुंग अपने नौकर के साथ एक पेड़ के नीचे बैठे हुए थे। उनका नौकर पानी गर्म कर रहा था।
अचानक कुछ पत्ते उस पेड़ से पानी के अंदर गिर गए और उबलते हुए पानी का रंग बदलना शुरू हो गया। उसका स्वाद उन्हें बहुत पसंद आया और बहुत खुश हुए क्योंकि शेन नुंग पहले से ही चीनी दवाइयों के लिए बहुत सारे पेड़ पौधों पर सर्च कर चुके थे और उस दौरान कुछ दवाइयां बना रहे थे। कुछ जहरीले पौधों पर भी रिसर्च कर गए थे। अब इन्हीं जहरीले पौधों की काट करने के लिए उन्होंने चाय को चुना।
वह पेय पदार्थ वह जो धोखे से पी गए थे जिसमें पत्तियां गिर गई थी और उसका रंग बदल गया था, वही चाय कहलाया और शेन नुंग ने यह भी कहा है कि बहुत सारी जहरीली जड़ी बूटियों के लिए यह दवाई का काम करेगी। उस दौरान शेंग नुंग ने चाय का नाम चा.आ रखा था. ये चीनी अक्षर हैं जिनका मतलब है परखना या फिर खोजना.
एक और कथा कुछ ऐसी है जिसके अनुसार छठवीं शताब्दी में हुनान प्रांत में भारतीय बौद्ध भिक्षु बोधिधर्म बिना सोए ध्यान साधना किया करते थे और वह जारी रहने के लिए खास पौधे की पत्तियां चबाते थे। बाद में यही पौधा चाय के पौधे के रूप में पहचाना गया। आज भी जब हम चाय पीते हैं तो हमारी सुस्ती तुरंत दूर हो जाती है।
भारत में कैसे हुआ चाय का आगमन
1824 में वर्मा जो अब म्यामार कहलाता है और असम की सीमांत पहाड़ियों पर चाय के पौधे उगाए गए. ईस्ट इंडिया कंपनी के पैर उस वक्त भारत में जमने लगे थे। उन्होंने चाय उत्पादन की शुरुआत 1836 में भारत में असम के चौका क्षेत्र में पहला इंग्लिश टी फार्म लगाकर की और फिर 1867 में श्रीलंका में भी उत्पादन शुरू किया। पहले तो खेती के लिए बीज चाइना से आते थे लेकिन बाद में असम के ही चाय के बिज का उपयोग होने लगा।
असम का मौसम चाय को रास आने लगा था। भारत में चाय का उत्पादन मूल रूप से ब्रिटेन के बाजारों में चाय की मांग को पूरा करने के लिए किया गया था। 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध तक भारत में चाय की खपत ना के बराबर थी, लेकिन आज भारत के हर चौराहे नुक्कड़ पर आपको कुछ मिले ना मिले, लेकिन चाय जरूर मिल जाएगी।
आज चाय की खेती अपनी मातृभूमि के बाहर करीब 52 देशों में फल-फूल रही है। वर्ष 2003 तक पूरे विश्व में चाय का उत्पादन 3.15 मिलियन वाले 10 प्रमुख उत्पादक देशों में भारत का नाम लिया जाता है और उसके बाद चीन का नाम लिया जाता है। अब चीन ने एक बार फिर से चाय उत्पादन के मामले में भारत से बाजी मार ली है। अन्य प्रमुख उत्पादक देशों में श्रीलंका और कीनिया भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं.
अभी चीन ही एकमात्र ऐसा देश है जो लगभग हर तरह की चाय का उत्पादन करता है। चाय के उत्पादन में भी काफी बढ़ोतरी देखी गई है। 2003 में तीन जैविक उत्पादन की ज्यादातर रिश्तेदारी फ्रांस, जर्मनी, जापान, अमेरिका और ब्रिटेन के बाजारों में है। यानी यह चाय वही ज्यादा बिकती है। यह भी पढ़िए: अपनी ही शादी में नहीं पहुंचा दूल्हा, वजह है बेहद मजेदार
अब सवाल यह है कि यह चाय इतनी मशहूर क्यों हो गई और भारत समेत इतने सारे देश चाय के दीवाने क्यों हैं? चाय औषधीय गुणों के कारण ही नहीं बल्कि रोजमर्रा की आनंद और ताजगी के लिए भी एक ज़रूरत सी बन गई है। चाय मूल रूप से कड़वी गर्म, तासीर वाली और ऊर्जा देने वाली होती है। कफ पित्त का शमन करती है और देश के जाने-माने आयुर्वेद आचार्य श्री बाल कृष्ण का कहना है कि आयुर्वेद में चाय का प्रयोग औषधि के रूप में भी किया जाता है।
चाय पीने से नुकसान भी होता है। यह एक ऐसा पेय पदार्थ है जिसमें कैनन होता है जो शरीर को स्फूर्ति प्रदान करने में सहायता करता है। इसीलिए अक्सर थक जाने पर चाय पिने से हमे स्फूर्ति का एहसास होता है, लेकिन हद से ज्यादा चाय की लत लग जाए तो शरीर को नुकसान पहुंच सकता है।
चाय के मजेदार फैक्ट्स
- चीन के बाद चाय की सबसे ज्यादा खेती भारत में होती है।
- अमेरिका में 85 प्रतिशत चाय आइस टी के रूप में पी जाती है।
- पानी के बाद दुनिया में जबसे ज्यादा चाय पी जाती है।
- विश्व में जितनी चाय पी जाती है, उसमें 75 प्रतिशत ब्लैक टी है।
- भारत के असम में अंग्रेजों ने 1836 में पहली बार चाय की खेती शुरू की थी। पर कहते हैं भारत में12वीं शताब्दी से ही चाय की खेती हो रही है। पर इसका चलन अंग्रेजों ने बढ़ाया।
अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस कब मनाया जाता है?
15 दिसंबर को पूरे विश्व में ‘इंटरनेशनल टी डे’ मनाया जाता है? खासतौर पर चाय की खेती करने वाले देशों में इसका खूब जोर रहता है। इसके सहारे दुनिया भर के देशों तक चाय की खूबियां पहुंचाई जाती हैं।
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कैसे हुई चाय की खोज? मजेदार है चाय का इतिहास! पर अक्षर पूछे जाने वाले कुछ faq’s निचे दिए गये है. आप उन पर भी नज़र जरूर डाले.
चाय की उत्पत्ति कैसे हुई?
वह पेय पदार्थ वह जो धोखे से पी गए थे जिसमें पत्तियां गिर गई थी और उसका रंग बदल गया था, वही चाय कहलाया.